धैर्य
ऐ धैर्य
थोडा और ठहर जा
अभी बहुत दूर जाना है
जो चाह है दबी सिमटी
उसे उस राह पहुँचाना है
ऐ धैर्य
तूने बहुत संभला है , संभाला है
विचलित मन संयम से साधा है
जो तू न होता, मैं मैं न होता
तूने मुझे मुझ से बाँधा है
ऐ धैर्य
मैंने तुझे डांटा है डपटा है
दूर धकेल अक्सर धमकाया है
तूने एक माँ बनकर मुझे
अपने आप में अपनाया है
ऐ धैर्य
कभी लगता है मेरी चाह ही गलत है
एक झोंका जो कहीं का नहीं
इधर से उधर , खुद की खोज में
क्या मालूम , जहाँ से शुरू , वो कोष है सही?
ऐ धैर्य
ज़रा और गहर जा
मुझे मुझ से मिला दे
मैं खुद को साफ़ पढ़ सकूं
मन उसी ओर चला दे
ऐ धैर्य
थोड़ा और ठहर जा
अभी बहुत दूर जाना है
जो चाह है दबी सिमटी
उसे उस पार पहुँचाना है
Wow, Beautiful.
ReplyDeleteWoW ! Lovely! Good one all of them keep the tempo going.
ReplyDeleteGood ones ~ Good show👍
All the best and looking forward to some more ~ just simply ~ good.,😊
Just what i needed to read at this point in life. Loved every bit of it, keep inspiring and posting
ReplyDeleteBeautiful one GJ! Loved the flow...
ReplyDeleteYou rock baby!!!
my fav so far..
ReplyDeleteMine too ..
DeleteSuper done 😊
ReplyDeleteThanks all
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