आज पीने दे साकी


आज पीने दे साकी
खुद की खोज में हूँ
ज़िन्दगी की रफ़्तार में
इस पल की मौज में हूँ 


माना खुद से दूर हूँ
दूर होकर भी मैं पास हूँ
जो थोड़ा और झूम लूँ
गहरे दिल का आभास हूँ 


बहुत अकेला चल लिया
इस घड़ी में साथ है
कल हो नहो क्या मालूम
इन दिनों, दोस्ती है हाथ है 


मेरे डगमगाते कदम न देख
कैसे चला, तू न देख पाएगा
छलकते जाम, हसीं ठहाकों में
पग छालों की आग, न सह पाएगा 


कहने दो उन्हें, जो कहते हैं
भटके हुए मस्ती में पड़े हैं
अरे हम वो, जो टूटे नटूटे
चोट खाए घायल, आज भी स्थिर खड़े हैं 


ये भीड़, ये शान ना देख
देख किन रास्तों में चला हूँ
ये वक़्त न तोड़ सका मुझे
अकेला चला ,अकेला लड़ा हूँ 


तो, एक और पीने दे साकी
फिर खुद की खोज में हूँ
गुज़रते वक़्त से निकल
इस नई आग़ोश में हूँ


आज पीने दे साकी
खुद की खोज में हूँ
ज़िन्दगी की रफ़्तार में
इस पल की मौज में हूँ



Comments

Post a Comment